शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते समय एक छोटी गलती से आप अपने ढेर सारे पैसे गवाँ सकते हैं भले ही आप उस ट्रेड में प्रॉफिट में ही क्यूँ न हो। ऐसे में Stop Loss एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
अगर आप भी एक ट्रेडर हैं तो आपको यह जानना बेहद ज़रूरी है कि Stop Loss किस तरह काम करता है और आप इसका इस्तेमाल किस तरह कर सकते हैं।
ट्रेडिंग को ठीक से करने के लिए जानते है Stop Loss कैसे लगाए और उस से पहले Stop Loss होता क्या है या What is Stop Loss in Share Market in Hindi।
Stop Loss क्या होता है?
Stop Loss ट्रेडर्स को शेयर बाज़ार में कीमतों के उतार चढ़ाव के दौरान आपको ज्यादा नुकसान होने से बचाता है।
शेयर बाज़ार कई हद तक भावनाओं से चलता है। ऐसे में शेयर बाज़ार में आपको जितना अधिक लाभ हो सकता है उतना ही अधिक नुकसान होने का भी ख़तरा रहता है। Stop Loss इसी तरह के नुकसान को कम करने का तरीका है।
ट्रेडिंग के दौरान आपके द्वारा लगाया गया Stop Loss आपके रिस्क लेने की क्षमता को भी बताता है। आप जितना कम रिस्क लेंगे उतना ही अच्छा रहेगा।
सही स्टॉप लॉस चुनने के लिए पहले स्टॉक को एनालाइज करे फ़िर अच्छा प्राइस सपोर्ट और अपना रिस्क देखकर स्टॉप लॉस चुन लें।
Stop Loss का सबसे ज्यादा इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में किया जाता है, इंट्राडे में इसका बहुत महत्व है। डिलीवरी पोजीशन के लिए केवल साइकोलॉजिकल Stop Loss मान कर चलते हैं।
Trailing Stop Loss क्या होता है?
Trailing Stop एक मूविंग स्टॉप लॉस है। इस्तेमाल करने में यह सामान्य स्टॉप लॉस जैसा ही है। लेकिन इसमें स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस, शेयर के ट्रेंड और प्राइस के अनुसार समय-समय पर बदला जाता है या मॉडिफाई किया जाता है।
उदाहरण के लिए, एक बढ़ते ट्रेंड में शेयर की कीमत बढ़ने के साथ साथ स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया जाता है जबकि गिरते हुए ट्रेंड में स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस को रिस्क के अनुसार धीरे-धीरे कम कर दिया जाता है। इस तरह के स्टॉप लॉस, Trailing Stop Loss कहलाते हैं।
Trailing स्टॉप लॉस को प्रॉफिट प्रोटेक्टिंग स्टॉप लॉस भी कहते हैं। क्योंकि इसमें पहले से लिये गए प्रॉफिट को लॉक कर लिया जाता है। ऐसे में अगर ट्रेंड बदल भी जाता है तो आपको लॉस नही होगा बल्कि आप अपना सीमित प्रॉफिट कमा कर पोजीशन बंद कर सकते हैं।
Stop Loss Trigger price क्या होता है?
स्टॉप लॉस ट्रिगर प्राइस या SLTP, स्टॉप लॉस का आर्डर लगाते समय सेलेक्ट किया जाता है। जैसे ही ट्रिगर प्राइस हिट होता है वैसे ही आपके द्वारा लगाया हुआ स्टॉप लॉस आर्डर एक्टिवेट हो जाता है। जिसे एक्सक्यूट होने के लिए एक्सचेंज भेज दिया जाता है।
इसीलिए सही स्टॉप लॉस के साथ सही ट्रिगर प्राइस भी चुनना आवश्यक है।
Stop Loss कैसे लगायें?
Stop Loss व Target Price ज्यादातर सेल आर्डर लगाते समय इस्तेमाल किया जाता है। Buy ऑर्डर्स में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैं। हम यहाँ केवल Sell Stop loss आर्डर के बारे में बात करेंगे।
Stop Loss कैसे लगाये, इसके लिए आपको नीचे दिए गए बुलेट पॉइंट्स ध्यान से पढ़ना है।
- सबसे पहले आपको अपने ट्रेडिंग प्लेटफार्म ( i.e. Zerodha, Upstox आदि) पर जाना है वहाँ उस स्टॉक को ओपन करना है जिसमें आप ट्रेड करने जा रहे हैं।
- मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपये पहले से खरीद रखा है। जिसे आप 120 (टारगेट प्राइस) पर बेचना चाहते हैं।
- लेकिन बाज़ार में अधिक volatility के कारण आप केवल 3 रुपये प्रति शेयर का रिस्क ले सकते हैं। तो आपको 97 रुपये पर स्टॉप लॉस लगाना है।
- अब आपको उस शेयर के Sell या Exit बटन पर क्लिक करना है। फिर stop loss पर क्लिक करना है।
- वहाँ आपको मार्केट आर्डर के साथ Stop Loss इस्तेमाल करना है और Trigger Price में आपको 97 रुपये भरने होंगे। फिर आर्डर प्लेस कर देना है। जो कि पेंडिंग ऑर्डर्स में दिखाई देगा।
- अगर अचानक से शेयर की कीमत गिरने लगी तो जैसे ही शेयर की कीमत ट्रिगर कीमत प्राइस को टच करेगी वैसे ही 97 रुपये पर लगाएं गए Stop Loss के कारण आपका सेल आर्डर अपने आप लग जायेगा।
- इसके साथ ही आपको टारगेट के लिए अलग से सेल आर्डर लगाना पड़ेगा। जिसके लिए आपको सेल पर क्लिक करना है और selling price में 120 रुपये भरके आर्डर लगा देना है।
इस तरह आप ख़ुद को ज्यादा नुकसान होने से बचा सकते हैं।
Zerodha में स्टॉप लॉस कैसे लगाये?
Zerodha के नए अपडेट के बाद इसमें काफ़ी चीज़े बदल गयी हैं। लेकिन अगर आपने ऊपर यह जान लिया है कि स्टॉप लॉस कैसे लगायें, तो आप आसानी से zerodha में भी स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।
आपको इसके लिए आपको बस कुछ स्टेप्स फॉलो करने हैं। जैसे-
- सबसे पहले Zerodha के प्लेटफॉर्म पर जाना है। वहाँ उस शेयर को ओपन करना है जिसमें आप स्टॉप लॉस लगाना चाहते हैं।
- अब उस शेयर के Sell बटन पर क्लिक करना है। जैसे ही मेनू खुलेगा उसमे आपको पहले Regular आर्डर में जाना है। फिर शेयर की क्वांटिटी भरनी है।
- उसमें नीचे SL-M (Stop Loss Market) को सेलेक्ट करना है और जिस प्राइस पर स्टॉप लॉस लगाना है उसे Trigger Price में टाइप कर देना है। फिर आर्डर को प्लेस कर देना है।
ध्यान रहे कि zerodha में SL-M और SL दो स्टॉप लॉस होते हैं आपको SL-M को ही सेलेक्ट करना है। क्योंकि SL-M आर्डर, SL आर्डर की तुलना में जल्दी एक्सक्यूट होता है।
आप जब SL-M आर्डर लगाते है तो ट्रिगर प्राइस ट्रिगर होते ही जो भी पहला प्राइस मिलेगा उस पर आपका Sell आर्डर लग जायेगा और जल्द ही आपका शेयर Sell हो जाएगा।
वहीं SL आर्डर में आपको ट्रिगर प्राइस तो डालना ही पड़ता है उसके साथ आपको मार्केट प्राइस की जगह पर वह मिनिमम प्राइस डालना होता है जिस पर आप शेयर बेच सकते हैं। Sell प्राइस, Trigger प्राइस से ज्यादा होता है।
SL आर्डर में जैसे ही ट्रिगर प्राइस हिट होता है वैसे ही आपने जो मिनिमम सेलिंग प्राइस सेलेक्ट किया है उस पर आपका सेल आर्डर अपने आप लग जाता है।
यह दोनों तरह के स्टॉप लॉस तब तक पेंडिंग रहते हैं जब तक ट्रिगर प्राइस नही हिट हो जाता।
Advantages of Stop Loss
- स्टॉप लॉस इस्तेमाल करने का कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नही लगता।
- यह बड़े नुकसान से बचाता है और उसे सीमित कर देता है।
- आपकी डिसीजन लेने की शक्ति को बाजार के भावनाओं से दूर रखता है।
- आपके रिस्क मैनेजमेंट को बेहतर बनाता है।
- स्टॉक को बार बार मॉनिटर नही करना पड़ता।
Disadvantages of Stop Loss
- केवल डे ट्रेडिंग में ही इसका महत्व है। होल्डिंग्स के लिए आपको रेगुलर स्टॉक को मॉनिटर करना पड़ेगा। जिसमे आप साइकोलॉजिकल स्टॉप लॉस मान लेते हैं।
- शार्ट टर्म वोलैटिलिटी के कारण कई बार स्टॉप लॉस जल्दी हिट हो जाते हैं और आप लॉस बुक कर लेते हैं। लेकिन आप बाजार के भावनाओं को हावी न होने दें।
- इससे स्टॉक की परफॉर्मेंस से आपका ध्यान हट जाता है।
- स्टॉप लॉस इस्तेमाल करने का कोई फिक्स रूल नही है। यह पूरी तरह से इन्वेस्टर/ट्रेडर की स्ट्रेटेजी पर निर्भर करता है।