सागवान के लकड़ी इमारती लकडियो में सबसे अच्छा है इसे इमारती लकड़ी का राजा भी कहा जाता है | सागवान Verbenaceae परिवार का एक सदस्य है जिसका वैज्ञानिक नाम Tectona grandis है|
इस पेड़ की देश एवं विदेश में काफी मांग है क्योकि यह पेड़ बड़ा एवं लम्बा होता है और इस पेड़ से मिलने वाली लकड़ी काफी अच्छी quality की होती है| इसके लकड़ी की quality अन्य सभी से अच्छी होने के कारण इससे बने furniture काफी लम्बे समय तक चलते है |
सागवान लोग के जीवन का एक हिस्सा बना हुआ है जिस कारण इस पेड़ को लगाना पसंद करते है | लोग इस पेड़ का व्यवसाय भी करते है | इसके व्यापार के लिए लोगो के द्वारा अच्छे quality वाले पेड़ लगाए जाते है | यह पेड़ 14 साल में तैयार हो जाता है इसके तने की लम्बाई 25-30 फीट तक होती है एवं ताने की मोटाई 35-45 inch तक होती है जिसमे से आप 10-15 cubic फीट लकड़ी प्राप्त कर सकते है|
टीकवुड के types
सागवान के कई किस्म पाए जाते है | लोग व्यापार एवं जलवायु के अनुसार विभिन्न किस्मो का खेती करती है | Teakwood के निम्नलिखित प्रकार है |
- गोदावरी सागौन
- पश्चिमी अफ्रीकन सागौन
- अदिलाबाद सागौन
- दक्षिणी और मध्य अमेरिकन सागौन
- कोन्नी सागौन
- नीलांबर (मालाबार) सागौन
Teakwood के लिए बेहतर Climate
किसी भी पौधे को लगाने मात्र से पेड़ नहीं लगता बल्कि लगाने वाले पेड़ के लिए उचित जलवायु अदि की जाँच करना अति आवश्यक है |
अगर आप सागवान की खेती करना चाहते है तो नमी एवं उष्णकटिबंधीय क्षेत्र अति उत्तम होता है | यह पेड़ अधिक तापमान को बड़े आसानी से सहन कर सकता है परन्तु इसके उत्तम विकास के लिए 13 से 44 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान के साथ 1200 से 2500 mm की वर्षा की आवश्यकता होती है |
Teakwood के लिए ज़रूरी Soil
उचित मिट्टी का चयन करना खेती के लिए बेहद आवश्यक है | अगर आप teakwood की खेती करना चाह रहे है तो इसके लिए जलोढ़ मिट्टी सबसे उत्तम मिट्टी है| चूना पत्थर, शिस्ट, गनीस, शेल एवं जवालामुखीय चट्टान यूक्त जलोढ़ मिट्टी टीक के लिए अति उत्तम होते है| इस पेड़ की खेती करने के लिए मिट्टी का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रहे की खेती के लिए चयन किए जाने वाले जमीन सुखी, बलुई, अम्लीय एवं दलदली मिट्टी नहीं होनी चाहिए |
Nursery
किसी भी फसल पेड़ पौधे या फुल की खेती करने से पहले उसका नर्सरी करना आवश्यक है | इस परिकिया को करने से आपको स्वस्थ पौधे प्राप्त होंगे जिससे पेड़ की किस्म अच्छी होगी |
नर्सरी को तैयार करने के लिए पहले जमीन को अच्छे से खोद कर इसमे मौजूद खर पतवार को निकल दिया जाता है एवं मिट्टी को अच्छे से भुरभुरा कर दिया जाता है और 30-35 दिनों तक इसे खुला छोड़ दिया जाता है | अब इस मिट्टी में थोडा बालू एवं जैविक खाद को अच्छे से मिला दिया जाता है |
अगर नर्सरी वाला area नमी वाले स्थान में है तो आप कियारियो का निर्माण जमीन से थोडा उच्चा किया जाता है और अगर शुष्क क्षेत्र है तो कियारियो को जमीन के स्तर से थोडा नीचे बनाया जाता है | अब खाद अदि मिलाने के बाद नर्सरी में बीज का छिडकाव होता है |
Land Preparation and Planting
किसी भी पौधे को लगाने से पहले जमीन की तैयारी करना अति आवश्यक है | अगर टीक लगा रहे है तो ध्यान रहे पौधे को लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून का है | पौधा लगाने वाला क्षेत्र ऐसा हो जिसमे से पानी आसानीपूर्वक निकल सके |
पौधा को लगाने से पहले हमे जमीन में जैविक खाद का छिडकाव कर अच्छे से जोत ले एवं इसके मिट्टी को भुरभुरा बना ले और निश्चित दुरी एवं अंतराल पर पौधे को लगाए | पौधो के बीच की दुरी 2 से 3 मीटर रखे एवं पंक्तियों की दुरी पौधे के दुरी के समान होनी चाहिए |
अगर आप चाहते है की इस पेड़ के साथ साथ पौधो के बीच खाली पड़े स्थान पर कुछ अन्य फसल को लगाना चाहते है तो पौधो एवं पंक्तियों के बीच की दुरी 4-5 मीटर रखे | अब पौधो को लगाने के लिए 45X45X45 cm के गड्ढे का खुदाई करे | एवं इस गड्ढे में कीटनाशक एवं 100 gram की मात्रा में खाद को डाले | अब पौधे को लगाए एवं मिट्टी को अंतिम रूप देकर आवश्यकता अनुसार सिचाई की व्यवस्था करे |
TeakWood की देखभाल
किसी भी खेती में अच्छे फसल के लिए फसल की देखभाल एवं फसल में निकलने वाले खरपतवार का नियंत्रण करना बेहद आवश्यक है| इससे आपके फसल स्वस्थ एवं तंदरुस्त होते है|
टीक के खेती में हमे 3-4 साल विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है जैसे खेतो से खरपरवार निकलना | खेत में निकलने वाले घास-फूस पौधे तक पहुचने वाली पोषक तत्व को रोकता है जिससे पौधे स्वस्थ नहीं हो पाते | खरपरवार के साथ पौधो में उचित सिचाई की व्यवस्था भी करना चाहिए |
इन सभी के साथ साथ हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए की पौधे में कही किसी किट के द्वारा नुकसान तो नहीं पहुचाया जा रहा है, एवं पौधे को लगाने के 5 साल के बाद इसके डाली की छटाई करने की आवश्यकता पड़ती है जिससे पेड़ का growth अच्छा होता है |
Diseases and Treatment
सागवान के पौधे में निष्पत्रक और दीमक के लगने का ज्यादा chance होता है | ये पेड़ को अन्दर से खोखला कर देते है एवं जड़ो को गला देते है | जिससे पेड़ बेजान हो जाता है और मर जाता है | अगर पौधे में या पेड़ में ऐसी समस्या हो रही है तो केलोट्रोपिस प्रोसेरा, डेट्यूरा मेटल और अजादिराचता इंडिका के तजा पत्ते का रस निकल कर पौधो पर छिडकाव करे यह इन समस्या में काफी मददगार शाबित होते है और दीमक से छुटकारा मिल जाता है |
Harvesting
टीक के पेड़ो के कटाई करने के लिए पौधे को लगाने से 14 वर्ष के बाद का समय सबसे अच्छा होता है | इस समय तक पेड़ अच्छे से तैयार हो जाते है | इस समय तक पेड़ में मौजूद मुख्य तना की लम्बाई 25-30 फीट एवं इसकी मिटाई 35-45 इंच तक होती है | जिसमे आपको 15 cubic फीट तक लकड़ी प्राप्त हो सकता है |
Marketing
पेड़ को कटाने के उपरांत अप इसे बाजार में बड़े आसानी से बेच सकते है | बाजार में कई ऐसे निजी टिम्बर है जो इस लकड़ी को लेने के लिए तैयार रहते है | इस लकड़ी का मांग पुरे विश्व में है और इस कारण इसको बेचने के लिए किसी प्रकार का मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती |
Teakwood के काम में मुनाफा
एक acre में आप आसनी से 400 से 600 पौधे लगा सकते हैं | अगर मान लीजिये की आपने 500 पेड़ लगाये और 5 years बाद उसमें से 100 पेड़ चोरी हो गए या मर गए तब भी आपके पास 400 trees होंगे | और एक tree का rate आसानी से आपको Rs 8,000 से कम नहीं मिलेगा | यानि 400 tress x Rs 8,000 = Rs 32 lakh की overall gross income होगी | अब अगर आप expenses जैसे labor, water, fencing इत्यादि को 5 लाख भी मने (हर साल 1 लाख expenses) तो भी आपको teakwood के business से 27 लाख का net profit होगा|
तो सोच क्या रहे हैं, अगर आपके पास 1 acre का land है, resource (जैसे labour) और कुछ पैसा है तो इस business को start कर के अच्छा profit कमाया जा सकता है |