शेयर बाज़ार से ढेर सारा पैसा कमाना, सुनने में जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। कई बार तो इसमें माहिर खिलाड़ी भी लॉस कर बैठते हैं। लेकिन अगर आप शेयर बाजार के नियम का ठीक तरीके से इस्तेमाल करें, तो आप ऐसे अनचाहे लॉस से भी बच सकते हैं।
अगर आप भी शेयर बाज़ार से पैसे कमाने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर बाज़ार के नियमों को जान लेना चाहिये।
तो जानते है इस पोस्ट में शेयर बाजार के नियम या Share Market Rules in Hindi।
शेयर बाज़ार के नियम क्या है?
शेयर बाजार के नियम से हमारा मतलब किसी तरह के कानून से नही बल्कि उन नियमों से हैं जिसे प्रोफेशनल और क्वालिफाइड trader पालन करते हुए शेयर बाजार में ट्रेड या इन्वेस्ट करते है।
शेयर बाजार में सही ढंग से ट्रेड या इन्वेस्ट करके प्रॉफिट कमाने का एक तरीका है जिसे प्रोफेशनल्स, शेयर बाजार से कमाई के फंडामेंटल नियम या शेयर बाजार के नियम कहते हैं।
अगर आप भी ट्रेडिंग शुरू करने जा रहे, और नही जानते कि कहां से शुरू करना है तो आप शेयर बाजार से कमाई के इन नियमों का पालन ज़रूर करें। क्योंकि इससे आपको कभी लॉस नही होगा और इससे आप कम समय मे अच्छा प्रॉफिट भी कमा सकते हैं। तो आइए जानते हैं शेयर मार्किट नियम कौन कौन से हैं।
शेयर बाज़ार के नियम
सही ब्रोकर चुने – Choose Right Broker
दलाल या ब्रोकर से हमारा मतलब ट्रेडिंग प्लेटफार्म से है। कि आप किस ब्रोकर का ट्रेडिंग प्लेटफार्म इस्तेमाल करते हैं। Zerodha, Angel Broking, ShareKhan, Paytm Money, Upstox आदि ब्रोकर्स हैं जो आपको ट्रेडिंग प्लेटफार्म प्रोवाइड करते हैं।
आपको ऐसा ट्रेडिंग प्लेटफार्म इस्तेमाल करना चाहिए, जिसका इंटरफ़ेस अच्छा हो, हाई क्वालिटी चार्ट और टेक्निकल टूल्स मिलते हो, जिसमें ट्रेडिंग फीस कम हो, कस्टमर सपोर्ट अच्छा हो, जो अटकता न हो आदि।
अपनी रिसर्च करें – Do Proper Research
शेयर बाजार से कमाई के लिए रिसर्च बेहद ज़रूरी चीज़ है। इसलिए किसी स्टॉक या सिक्युरिटी में निवेश/ट्रेड करने से पहले उस पर अच्छे से रिसर्च करें।
ऐसे स्टॉक्स चुने जिनका फंडामेंटल अच्छा हो। फ़िर इन स्टॉक्स के परफॉर्मेंस को अच्छे से परखें, इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस का इस्तेमाल करें।
अगर आप शार्ट टर्म ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग भी करते हैं तो स्टॉक पर बाज़ार के प्रभाव पर भी नज़र रखें। उन स्टॉक्स को समय समय पर देखते रहे जिनमे अपने इन्वेस्ट किया है या करने वाले हैं।
स्टॉक्स नहीं, बिज़नेस चुनें – Invest in Companies not in Stocks
एक पॉपुलर स्टॉक में इन्वेस्ट करना अच्छा तरीका लग सकता है पर उसके बजाय अच्छे बिज़नेस में इन्वेस्ट करना एक बेस्ट तरीका है।
यानी आप उन कंपनी के स्टॉक्स को चुनें, जिनका लॉन्ग टर्म बिज़नेस मॉडल अच्छा हो और उनका भविष्य अच्छा हो। जो शार्ट टर्म के साथ साथ लॉन्ग टर्म में भी बेहतर रिटर्न्स दे सके। इसीलिए जब लांग टर्म के लिए स्टॉक्स चुने तो उसमे कंपनी का फाइनेंसियल हिस्ट्री , उसकी ताकत और कमजोरियां, उसकी पॉपुलैरिटी औऱ बिज़नेस मॉडल को ज़रूर समझ लें।
लॉजिक पर भरोसा करें, भावनाओं पर नहीं – Be Realistic, don’t Invest with Emotion
शेयर बाजार में कभी भी भावनाओं के आधार पर ट्रेड न करें। अक्सर बिगनर्स इसी कारण से भारी नुकसान कर बैठते हैं। कई स्थितियों में ट्रेडर्स अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, इसका कारण नुकसान का डर और कम समय मे ढेर सारा प्रॉफिट कमाने का लालच होता है।
इसीलिए एक सफल ट्रेडर को अपनी भावनाओं पर कंट्रोल रखते हुए, लॉजिक के आधार पर ट्रेड करना चाहिए।
स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें – Use Stop – Loss
शेयर बाज़ार ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस का इस्तेमाल सबसे ज़रूरी नियम है और इसका सख्ती से पालन करना चाहिए। यह आपको हाई वोलैटिलिटी या मार्केट क्रैश की स्थिति में भारी नुकसान होने से बचा लेता है और नुकसान को सीमित कर देता है।
स्टॉप लॉस आपके जोखिम लेने की क्षमता को भी बताता है। एक सही स्टॉप लॉस का चुनाव आप स्टॉक के टेक्निकल एनालिसिस और अपने रिस्क के आधार पर चुन सकते हैं।
Trader के साथ-साथ इन्वेस्टर भी बने – Invest in Long Term along with Trading
अक्सर देखा गया है कि ट्रेडर से ज्यादा इन्वेस्टर प्रॉफिट में रहता है। ट्रेडर रोजाना भारी मात्रा में ट्रेड करके या तो ज्यादा प्रॉफिट कमा लेता है या उससे ज्यादा लॉस कर बैठता है जबकि एक इन्वेस्टर रेगुलर थोड़ा थोड़ा इन्वेस्ट करके लांग टर्म में अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेता है। इसीलिए एक इन्वेस्टर भी बने।
अगर आप ट्रेडिंग भी करना चाहते हैं तो आप थोड़ी थोड़ी मात्रा में करें और उससे होने वाले प्रॉफिट का इस्तेमाल फंडामेंटल स्टॉक्स में लांग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए भी करते रहे। इस तरह आप कभी लॉस में नही रहेंगे।
रिस्क मैनेजमेंट को हमेशा ध्यान में रखे – Know your Risk Tolerance
शेयर बाज़ार पूरी तरह रिस्क से भरा हुआ है और इसमें बिना स्ट्रेटेजी के रिस्क लेना भी हानिकारक हो सकता है। इसीलिए अपने रिस्क को मैनेज करें और सोच समझ रिस्क लें।
आप अपने कैपिटल का कुछ हिस्सा रिस्क मैनेजमेंट के लिए रखें औऱ इस कैपिटल से ट्रेड बिल्कुल न करें। अपने इसी कैपिटल के आधार पर जोख़िम लेने की क्षमता को पहचाने और बचे हुए कैपिटल से ट्रेड करें।
किसी ट्रेड में पूरे रिस्क कैपिटल पर रिस्क लेकर ट्रेड न करें बल्कि उसके कुछ हिस्से को अपने रिस्क का हिस्सा बनाये। जैसे जैसे प्रॉफिट होता जाए धीरे धीरे रिस्क मैनेजमेंट कैपिटल को भी बढ़ाते जाए। नुकसान कि स्थिति में ट्रेड में कम रिस्क लें।
आसान तरीका यह है कि आप फिक्स्ड लॉट साइज में ही ट्रेड करें। इससे आपको हमेशा पता रहेगा कि आपको एक लॉट में कितने का फायदा या नुकसान हो रहा है और आपको कितना रिस्क लेना चाहिये।
पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाइड बनाएं – Create Diversified Portfolio
डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो यानी जिसमें तरह तरह के अच्छे स्टॉक्स या बिज़नेस के शेयर में इन्वेस्ट किया गया हो।
केवल एक बिज़नेस या सेक्टर चुनने के बजाय अलग अलग सेक्टर्स या कैटेगिरी से बेस्ट शेयर का चुनाव करके उसमें निवेश करें।
आर्थिक हो या राजनीतिक हर तरह की घटनाओं में शेयर बाजार को प्रभावित करने की क्षमता होती है। ऐसे में एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स को शेयर बाजार की दुर्घटनाओं से बचाता है।
अफवाहों या किसी की राय के आधार पर ट्रेड न करें – Don’t Invest based on Rumors
अफवाहों के आधार पर ट्रेड करना अक्सर नुक़सानदायी होता है। ख़ासकर किसी की राय लेकर तो बिल्कुल ट्रेड नहीं करना चाहिए।
ज्यादातर बिगनर्स न्यूज़ या टेलीग्राम ग्रुप से मिलने वाली रॉय के आधार पर ट्रेड कर लेते हैं और अंत मे उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता है। इसीलिए केवल अपनी रिसर्च के आधार पर ट्रेड करें।
सब्र के साथ ट्रेड/इन्वेस्ट करें – Patience is Key in Investing
शेयर बाजार से कोई भी एक दिन में करोड़पति नहीं बन जाता। इसीलिए अपने ट्रेड या इन्वेस्टमेंट के प्रति सब्र रखें। एक दिन में ढेर सारी कमायी का लालच अक्सर ढेर सारा नुक़सान देकर जाता है।
उधार लेकर शेयर मार्किट में न लगाए – Don’t Invest with Borrowed Money
बड़े से बड़े ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को भी कभी न कभी नुक्सान उठाना पड़ता है। मार्किट के उतराओ चढ़ाओ की सबको फ़िक्र रहती है। पुरे यकीन के साथ कोई नहीं कह सकता की आने वाले वक़्त में शेयर मार्किट ऊपर जाएगी या नीचे।
ऐसे में कभी भी उधार लिया हुआ पैसा शेयर मार्किट में न लगाए। वो पैसे invest करे जिनकी आपको लम्बे समय तक ज़रूरत न हो।
आपके लगाए हुए पैसे से अच्छे return में कुछ महीनो से कुछ सालो तक का वक़्त लग सकता है।
Knowledge is power
आपने बहुत बार सुना होगा की knowledge ही power है, ये बात शेयर मार्किट में भी बहुत विशेष है। आपको जितनी जानकारी होगी उतना ही बेहतर शेयर आप चुन पाएगे।
अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए जिन कम्पनीज में आप रूचि रखते है उनकी quarterly, monthly और half-yearly रिपोर्ट को पढ़े।
व्यापार की न्यूज़ को पढ़ना और ज़रूरी जानकारी को याद रखना शुरू कर दे।
धीरे धीरे बदलावों का कम्पनीज पर होने वाले असर का सही अंदाज़ा होने लगेगा।
हर ट्रेड का Analysis करे – Do Analysis of each Trade
शेयर मार्किट में आपको हर ट्रेड से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। आपकी ट्रेड सफल हो या विफल उनको समझने की कोशिश करे की स्टॉक ऊपर या नीचे गया तो क्यों गया। इसके पीछे वजह क्या थी, किस बात ने इस पर सबसे ज़्यादा असर डाला।
इस से न सिर्फ उस कंपनी की नई जानकारी मिलेगी बल्कि मार्किट के बारे में अनुमान लगाना भी आएगा।
प्रॉफिट बुक करना सीखे – Learn to Book Profit
प्रॉफिट बुक करने से मतलब ये सोचना है की आपको किसी ट्रेड से कितना प्रॉफिट लेना है।
किसी भी शेयर के पैसे ऊपर या नीचे जाते रहते है। ऐसे में शेयर के पैसे बढ़ने का मतलब ये नहीं है की वो बढ़ते ही रहेंगे, एक वक़्त के बाद शेयर के पैसे फिर से कम हो जाएगे।
जब आप पहले से प्रॉफिट बुक करने के लिए एक वैल्यू सोच लेते है, तो उतना प्रॉफिट हो जाने पर शेयर को बेच देना ही समझदारी है।
Leverage का सही से इस्तेमाल करे – Use Leverage sincerely
Leverage का मतलब आपने ब्रोकर के पैसे से शेयर खरीदना है। अपने पैसे के मुकाबले Leverage से profit या नुक्सान ज़्यादा होता है।
अगर ट्रेड कामयाब होती है तो आप अपने पैसे के मुकाबले Leverage से ज़्यादा प्रॉफिट कामायगे व्ही नुकसान होने पर loss भी ज़्यादा होगा।
एक example से समझिए की आपके पास 10 हज़ार रूपये है और किसी शेयर की कीमत 100 रूपये है, आपको इस कंपनी के 50 शेयर चाहिए। अब आप इसमें 10 हज़ार अपने और 40 हज़ार ब्रोकर के leverage के तोर पर लेंगे।
ऐसे में प्रॉफिट होने पर आपको उतना प्रॉफिट होगा जितना 50 हज़ार अपने पैसे लगाने पर होता और लॉज़ होने पर भी आपको उतना loss होगा जितना अपने 50 हज़ार लगाने पर होता।
Share average का इस्तेमाल सोच समझ कर करे – Use Share Average Correctly
Share average का मतलब है की अपने ख़रीदे हुए शेयर की एवरेज cost को कम या ज़्यादा करना। एक उदहारण से समझते है।
मान लिए एक कंपनी का शेयर 50 रूपये का है और आपने उसके 100 शेयर खरीदे। शेयर की एवरेज buying cost अभी 50 रूपये है।
आप शेयर 50 से ऊपर का बेच कर मुनाफा कमा सकते है।
पर शेयर के पैसे गिरते है और 40 रूपये रह जाते है। तो आप 100 share 40 रूपये per शेयर के हिसाब से और खरीद लेते हो।
अब आपकी share average cost 45 रूपये हो जाएगी।
मतलब शेयर 45 रूपये से ऊपर का जब भी जाएगा तो आप मुनाफा कमा सकते हो।
इसमें रिस्क की बात ये है की जिस शेयर के पैसे गिर रहे है उसमे और पैसे invest करने से share average cost कम होने की जगह आपकी दोनों ट्रेड नुक्सान में जा सकती है।
चार्ट analysis करना सीखे – Learn Chart Analysis
चार्ट analysis के बहुत सारे फायदे है इसके न सिर्फ शेयर में इन्वेस्ट करना आसान होता है बल्कि ये अच्छा trader/investor बनाने में भी बहुत मददगार है। इसके बहुत से फायदे है जैसे की :-
- इस से शेयर के पैसो में आए पुराने उतराओ चढ़ाओ को समझने में मदद मिलती है।
- मार्किट से उल्टा चलने से रोकता है। आप चार्ट देख कर मार्किट के साथ चल सकते है।
- मार्किट के साथ चलना आसान होता है। जैसा मार्किट जा रहा है ऊपर या नीचे उसी हिसाब से आप भी चले।
- चार्ट analysis से support और resistance level का पता चलता है।
- मार्किट में घुसने और निकलने का सही टाइम चार्ट analysis से ही पता चलता है।
उस कंपनी में invest करे जिसका business model आप समझते हो
अपने आप को समझाए की आप शेयर में नहीं बल्कि कंपनी में invest कर रहे है। अब ऐसी कंपनी में invest करने की कोशिश करे जिसका काम आप समझते हो।
इस से मार्किट में आने वाले बदलाव का अंदाज़ा आप पहले से लगा पाएगे। व्ही अगर आपको काम की जानकारी नहीं है तो कंपनी पर पड़ने वाले economic और पोलीटिक बदलावों का अंदाज़ा लगाने में मुश्किल आएगी।
लालची न बने और न ही loss से न डरे
आखिर में सबसे सबसे ज़रूरी बात। कभी भी कम टाइम में ज़्यादा पैसे कमाने के चक्कर के लालच में न आए।
अपनी बनाई हुई प्लानिंग पर चलते रहे। रोज़ एक जैसा नहीं होता, कभी फ़ायदा तो कभी नुकसान होता रहता है।
नुकसान होने पर डरे नहीं। डर कर ज़रूरत से ज़्यादा नुक्सान करा लेंगे।