Mutual Fund में निवेश करना आज काफी पॉपुलर हो गया है। हो भी क्यों न ! क्योंकि शेयर मार्केट की कम जानकारी होने पर भी इसमें निवेश करना काफ़ी आसान औऱ लाभकारी है।
इसीलिए आज हम आपको Mutual Fund के बारे में इतनी जानकारी दे देंगे कि आपको Mutual fund में निवेश करना आसान हो जाएगा।
तो आइए जानते हैं – What is Mutual fund in Hindi
Mutual Fund क्या है?
Mutual fund in hindi -म्यूच्यूअल फण्ड क्या है
Mutual funds एक तरह का सामूहिक निवेश का तरीका है और आज यह investment के बेस्ट तरीकों में से एक है। लेकिन आजकल यह इतना काफ़ी पॉपुलर हो गया है। इसका इस्तेमाल आप Long term या Mid term gains के लिए कर सकते हैं।
यह एक investment fund होता है। जो कई Mutual fund कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। जो कि छोटे निवेशकों से पैसे लेकर उस पैसे का इस्तेमाल बड़े स्तर पर निवेश के लिए करता है। उस निवेश से fund को जो फ़ायदा होता है उसमें से कुछ हिस्सा उन छोटे निवेशकों को profit के रूप में मिल जाता है।
शेयर बाज़ार की ही तरह Mutual fund को भी SEBI यानी Securities and Exchange beauro of India द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जिससे निवेशकों के साथ कोई धोखाधड़ी न की जा सके। आज के समय मे बहुत से लोग शेयर बाज़ार में निवेश करके पैसे कमाना चाहते हैं लेकिन पर्याप्त जानकारी न होने से वे निवेश नहीं कर पाते। ऐसे लोग Mutual fund के ज़रिए निवेश करके पैसे कमा सकते हैं। तो आइए जानते हैं यह काम कैसे करता है जिससे हमें इसे समझने में आसानी हो।
Mutual Fund कैसे काम करता है?
Mutual fund बड़े पैमाने पर शेयर मार्केट में निवेश के लिए जाने जाते हैं। Mutual Funds scheme एक कंपनी द्वारा जारी किया जाता है। इस कंपनी को हम Asset Management Company ( AMC ) कहते हैं। इस तरह एक कंपनी कई सारे Mutual Fund जारी करती है।
हर एक Mutual fund Scheme के लिए अलग अलग Fund Manager होते हैं जो कि Fund के रख- रखाव और उसके पैसे को ज्यादा प्रॉफिट के लिए किस सेक्टर में निवेश करना चाहिए, एक फण्ड मैनेजर इन सभी बातों का ध्यान रखता है।
एक Mutual fund scheme की वैल्यू उसके NAV यानी Net Asset Value से जानी जाती है। साथ ही साथ Scheme size , plan, Cash Holding , Scheme benchmark और Scheme के expense ratio को भी जानना ज़रूरी है।
बाद में फण्ड मैनेजर म्यूच्यूअल फण्ड के इन्हीं पैसे को शेयर बाज़ार, बड़े सेक्टर्स, और कंपनियों में निवेश करते हैं। इस निवेश से उस Fund को जो भी फ़ायदा या नुकसान होता है। उससे उसका NAV प्रतिदिन घटता-बढ़ता रहता है। जिसे आप ignore करके Monthly , Quarterly या yearly gains के हिसाब से प्रॉफिट कमा सकते हैं।
इसलिए कहा जाता है कि Mutual Fund मार्केट के जोखिमों के पर निर्भर करता है। लेकिन आप बेसिक जानकारी के साथ Mutual fund में निवेश कर सकते हैं। अच्छे रिटर्न्स के लिए लांग टर्म इन्वेस्टमेंट या फ़िर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान का इस्तेमाल करना चाहिए।
उदाहरण के लिए- मान लीजिए ABC कोई Asset management company है जिसने ABC India growth fund नाम की एक स्कीम निकाली है। जिसका NAV आज 10 रुपये प्रति यूनिट है। छोटे-मोटे निवेश, फर्म या कंपनियां इस fund में निवेश करती हैं। आपने भी इसी फण्ड में 10 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 50 हज़ार रुपये यानी 5000 यूनिट ख़रीद लेते हैं। आने वाले तीन महीने में उस फण्ड को 25 प्रतिशत मुनाफ़ा होता है यानी अब फण्ड की NAV 12.5 रुपये हो गयी।
इस हिसाब से आपको भी 25 प्रतिशत का मुनाफ़ा होगा और आपने जो निवेश किया था अब वह 12.5 रुपये प्रति यूनिट हो गया। यानी आपको 5000×2.5 यानी 12500 रुपये का फ़ायदा मात्र तीन महीने में हो जाएगा।
Mutual Fund में निवेश करने से पहले आपको क्या जानना चाहिए?
Things to know before investing in Mutual Fund in Hindi.
Mutual Fund में निवेश करने से पहले कुछ बातो का पता होना ज़रूरी है जैसे की:-
1. NAV – इसे Net Asset Value कहते हैं। यह एक mutual fund के प्रति यूनिट कीमत को बताता है। इससे आपको होने वाले प्रॉफिट और लॉस भी पता लगाया जा सकता है।
2. Expense Ratio – यह आपके investment पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए fund द्वारा लगाया गया Annual charge है। जो कि प्रतिशत में बताया जाता है।
e.g. अगर आपने 10000 रुपये ऐसे mutual fund scheme में निवेश किया है जिसका Expense ratio 1.5 % है । इसका मतलब आपको 150 रुपये प्रतिवर्ष फण्ड को चार्ज के रूप में देना होगा। यह पैसे आपके निवेश किये गए पैसे में से काट लिए जाएंगे।
3. Cash Holding – AMC कभी भी फण्ड के पूरे पैसे को मार्केट में निवेश नहीं करती बल्कि उसका कुछ हिस्सा Cash holding के रूप में रखती है जिससे निवेशकों द्वारा यूनिट ख़रीदने/ बेचने और मार्केट वोलैटिलिटी के दौरान cash flow को नियंत्रित किया जा सके। Equity funds 1-5% और कुछ तो 7-10% तक cash holding रखती हैं। Cash holding जितना ज्यादा हो उतना ही अच्छा फण्ड होता है।
4. Scheme Asset Size – यह mutual fund कंपनी या AMC द्वारा मैनेज किये जाने वाले निवेश के लिए म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम की कुल मार्केट वैल्यू को बताता है।
5. Asset Under Management – यह म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी के द्वारा मैनेज किये जाने वाले निवेश के लिये टोटल asset की कुल मार्केट वैल्यू को बताता है। इसका यह फ़ायदा है कि आप इसे दूसरे कॉम्पीटिटर्स से तुलना करके एक अच्छे Scheme या Mutual fund company चुन सकते हैं।
6. Exit Load – इसका मतलब यूनिट बेचने पर लगने वाले चार्ज से है। अलग अलग स्कीम के लिए अलग अलग Exit load होता है और कुछ के लिए No charges on withdrawal होता है। इसे ज़रूर देख लेना चाहिए।
7. Lock-in Period – बहुत सारे फंड्स जैसे Debt funds या tax saver funds की स्कीम में Lock- in period होता है। जो हर स्कीम के लिए अलग होता है। यानी आप निवेश करने के बाद एक निश्चित समय से पहले स्कीम से पैसे नहीं निकाल सकते हैं। निकालने के लिए आपसे कुछ exit load लिया जाएगा या फ़िर आपका पैसा lock in period के बाद ही निकलेगा।
8. Systematic Investment Plan (SIP) – जब आप हर महीने एक ही स्कीम में एक निश्चित रकम निवेश करते हैं तो उसे SIP कहा जाता है।
9. CAGR – इसे Compound Annual growth return कहते हैं। इससे आपको स्कीम की last quarterly या last annual profit के बारे में पता चलेगा। यानी स्कीम ने उतने समय मे कितने प्रतिशत मुनाफ़ा कमाया है।
10. NFO – इसे New Fund offering कहते हैं। जब कोई स्कीम पहली बार जारी की जाती है तो उसे NFO कहा जाता है। जिसमें वह स्कीम अपने न्यूनतम वैल्यू पर होती है।
11. Scheme Benchmark – एक mutual fund शेयर मार्केट के जिस Indices या benchmark के कंपनियों , शेयरों या सेक्टरों में निवेश करता है उसे उसका Scheme benchmark कहते हैं। जिसका असर उस स्कीम पर पड़ता है।
12. AMC – यह mutual fund स्कीमों और उसके पैसे को नियंत्रित करती है। जैसे – UTI AMC, ICICI AMC, IDFC AMC, AMC आदि।
Mutual Fund में निवेश कैसे करें?
How to invest in Mutual Funds in Hindi
Mutual Funds में आप कई तरीके से निवेश कर सकते हैं। जैसे –
- ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए।
- इंटरमीडिएट के ज़रिये ( बैंक, स्टॉक ब्रोकर, ऑनलाइन ब्रोकर, फाइनेंसियल एडवाइजरी आदि )
- इंडिपेंडेंट फाइनेंसियल एडवाइजर के ज़रिए।
- डिमैट और ट्रेडिंग एकाउंट के ज़रिए।
- अगर आप बिना किसी झंझट के ख़ुद ही Mutual fund में निवेश करना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन ब्रोकर्स जैसे Paytm Money, Angel Broking, Upstox, या Zerodha के ज़रिए भी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर सकते हैं।
Note – मेरे हिसाब से आपको Paytm Money app का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसका इंटरफ़ेस काफी आसान है और आप इसे आसानी से इस्तेमाल करके निवेश कर सकते हैं। आपको बस इन प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाना होता है फिर आप घर बैठे KYC कम्पलीट करके इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा आप किसी म्यूच्यूअल फण्ड में डायरेक्ट निवेश कर सकते हैं। जिसके लिए आपको उस फण्ड के ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल करके निवेश करना होता है। इसका यह फ़ायदा है कि आपको किसी एजेंट या ब्रोकर को किसी भी तरह का कमीशन नहीं देना होता।
Mutual Fund कितने तरह का होता है?
Types of Mutual fund in Hindi
Mutual Funds को कई कैटेगरीज़ में बांटा जा सकता है। जैसे –
1. Equity Funds
यह निवेशकों के पैसों को स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करती है। इसलिए ऐसे फंड का रिस्क भी काफी ज्यादा होता है।
SEBI ने Equity Funds के अंतर्गत कुल 11 स्कीम को रखा है जिसमे से कंपनी केवल 10 को ही रख सकती है। जिसमे उनको वैल्यू या कॉण्ट्रा फंड के बीच एक को चुनना होता है। इन 11 स्कीमो में Multi Cap, Large Cap, Large & Mid Cap, Mid Cap, Small Cap , Dividend yield fund , Value fund , Contra Fund, Focused Fund, Sectoral/Thematic Fund, ELSS आदि।
2. Debt Funds
इस तरह के फंड निवेशकों के पैसे को डेब्ट सिक्योरिटी जैसे कॉरपोरेट बांड, गवर्मेंट बांड्स, बैंकों द्वारा जारी बांड्स में इन्वेस्ट करती है। यह उन निवेशकों के लिए अच्छा होता है जो रिस्क लेने के लिए जानकर रहते हैं। SEBI ने इसके अंतर्गत 16 स्कीमों को ही मान्यता दी है।
जैसे – ओवरनाइट फंड, लिक्विड फण्ड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, लो ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड , शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मिड ड्यूरेशन फंड, मिड टू लांग ड्यूरेशन फंड, लांग ड्यूरेशन फण्ड, डायनामिक फण्ड, कॉर्पोरेट बांड फण्ड , क्रेडिट रिस्क फंड, बैंकिंग ऐंड PSU फण्ड, गिल्ट फंड ,गिल्ट फंड विद 10 इयर्स कांस्टेंट ड्यूरेशन, फ्लोर फण्ड आदि।
3. Hybrid Funds
इस तरह के फंड निवेशकों के पैसे को इक्विटी और डेब्ट दोनों तरह के इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। इस तरह के फंड में रिस्क और रिटर्न के बीच एक अच्छा संतुलन देखने को मिलता है। SEBI ने हाइब्रिड फंड के अंतर्गत केवल 6 केटेगरी को ही माना है।
जैसे – कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फण्ड, बैलेंस्ड हाइब्रिड फण्ड, अग्रेसिव हाइब्रिड फण्ड, डायनामिक एसेट अलोकेशन बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, मल्टी एसेट अलोकेशन फण्ड, आर्बिट्रेज फण्ड, इक्विटी सेविंग फण्ड आदि। जिसमे से उन्हें अग्रेसिव हाइब्रिड और बैलेंस्ड फण्ड में से एक को चुनना होता है।
4. Solution Oriented Scheme
इसमें केवल 2 तरह की ही स्कीम होती है। रिटायरमेंट फण्ड और चिल्ड्रन फण्ड जिसमें एक एक निश्चित समय का लॉक इन पीरियड होता है।
5. Others
इसमें दो अलग स्कीम है जिसे दूसरी कैटगरियाँ में नही रखा जा सकता है। इसमें Index fund / ETFs आते हैं। इन Mutual Funds स्कीमों में प्लान या फ़िर maturity पीरियड के आधार पर निवेश किया जाता है।
प्लान के आधार पर आप इसमें दो तरीके से निवेश करते हैं।
- डायरेक्ट प्लान
- रेगुलर प्लान
Maturity पीरियड के आधार पर इन Mutual funds को कुछ टाइप्स में बांट सकते हैं। जैसे-
1. Open End Fund – इसमें इन्वेस्टर अपनी पोर्टफोलियो परफॉर्मेंस के आधार पर यूनिट खरीदने या बेचने की अनुमति देता है।
2. Closed End Fund – इसमें एक maturity या lock-in Period होता है।
3. Interval Fund – ये Open-End और Closed-End फंड का मिला जुला रूप है। जो कि एक निश्चित समय मे यूनिट खरीदने या बेचने की अनुमति देते हैं।
नोट- Mutual Funds के इतने सारे टाइप्स को देखकर घबराने की ज़रूरत नहीं है। आपको केवल मुख्य स्कीमो में से चुनाव करना होगा और फण्ड कि सारी जानकारी और past performance को बारीकी से समझना होगा।
इसमें Morningstar, Crisil और Value Research जैसे फर्मों की रेटिंग से भी आपको काफी सहायता मिल जाएगी।
किसी भी प्रकार के फण्ड में निवेश से पहले Tax implication के बारे में ज़रूर जान लें।
Mutual Funds के फ़ायदे
- Mutual fund को प्रोफेशनल फंड मैनेजरों के द्वारा मैनेज किया जाता है। जो कि आपके पैसे को काफी रिसर्च के बाद किसी सेक्टर में निवेश करते हैं।
- इससे आप शेयर मार्केट के जैसे रोजाना पैसे नहीं कमा सकते हैं लेकिन आप हर महीने अपने पैसे को बढ़ते हुए देख सकते हैं।
- कई स्कीमों में बैंकों और FD से ज्यादा Annual प्रॉफिट कमाया जा सकता है।
- शेयर मार्केट के ढेर सारे शायरों में पैसा लगाकर पैसे कमाना पॉसिबल नहीं हैं लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड आपके पैसे को अलग अलग शेयरों में निवेश करके आपको Compound Quarterly/ Annually प्रॉफिट देता है।
- Mutual funds में निवेश करना काफी आसान है।
- इसमें आप कम से कम 100 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।