आप जानना चाहते है की डिजिटल मार्केटिंग क्या है?
पहले आप मुझे जवाब दे.
क्या आप Harsh Aggarwal को जानते है?
अगर आप भी मेरी तरह डिजिटल मार्केटिंग के पीछे पागल है तो आप ज़रूर जानते होंगे.
आज हम Harsh Aggarwal की बात इसलिए कर रहे है क्यों की ये हर महीना लगभग 26 lakh रूपये कमाते है.
ये सारी कमाई उनकी डिजिटल मार्केटिंग की वजह से है.
आपको डिजिटल मार्केटिंग की power जाननी है तो तो Harsh aggarwal के बारे में जानिए.
2008 में इन्होने मेरे जैसे काफी लोगो की तरह इंजीनियर कम्पलीट की, कुछ टाइम call center में जॉब की फिर ShoutMeLOud Blog की शुरुआत की.
हर महीना इनकी इनकम बढ़ती गई.
और धीरे धीरे इनकी blogging ने इनको काफी अमीर बना दिया.
हां ये सच है की सबकी किस्मत एक जैसी नहीं होती.
पर call center में जॉब करने वाला अगर 9 साल बाद 26 lakh पर महीना कमा सकता है, तो कुछ भी मुमकिन है.
यहाँ जितनी मेहनत Harsh की है उतना ही साथ डिजिटल मार्केटिंग ने भी दिया है.
अगर इतनी ही मेहनत उन्होंने ऑफलाइन मार्केटिंग में की होती, तो शायद आज वो इतने कामयाब नहीं होते.
तो चलिए जानते है की डिजिटल मार्केटिंग क्या है?
कैसे मुझे, आपको और बड़ी बड़ी कम्पनीज को अपने product या सर्विस को ऑनलाइन बेचने में मदद करती है.
डिजिटल मार्केटिंग क्या है?
किसी भी product या service को digitally advertise करना या बेचना डिजिटल मार्केटिंग है.
Digitally advertisement का मतलब है digital डिवाइस पर Advertise करना.
कुछ लोगो को लगता है की ऑनलाइन मार्केटिंग ही डिजिटल marketing है.
पर वो गलत है:
ऑनलाइन और ऑफलाइन मार्केटिंग दोनों ही डिजिटल मार्केटिंग के हिस्से है.
Digital marketing के लिए internet होना ज़रूरी नहीं है, Digital device होना ज़रूरी है.
Digital marketing बहुत सालो से है क्युकी डिजिटल device (TV, रेडियो, मोबाइल) काफी सालो से है.
- जब आपने पहेली बार रेडियो पर Ad सुना तो वो डिजिटल मार्केटिंग थी.
- Black and white टीवी पर जब पहला Ad देखा तो वो भी डिजिटल मार्केटिंग थी.
फिर लोग डिजिटल और ऑनलइन मार्केटिंग को एक क्यों समझते है?
अब धीरे धीरे हमारे सारे डिजिटल device internet ने connect होते जा रहे है.
अगर आपके फ़ोन में इंटरनेट ना हो तो आप फ़ोन चलाएगे?
- अब लोग टीवी, रेडियो से ज़्यादा मोबाइल पर ज़्यादा टाइम देते है.
- लोग रोज़ टीवी देखे या ना देखे पर फेसबुक या गूगल ज़रूर चलाते है.
ऐसे में जब हम Digitally advertisement की बात करते है, तो हमारा मतलब उन डिवाइस को टारगेट करना होता है जो इंटरनेट से connect है.
क्युकी जहाँ हमारे customer है हम व्ही ads दिखायगे.
तो डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन मार्केटिंग को एक साथ इस्तेमाल करना तो ठीक है.
पर ऑनलाइन मार्केटिंग को डिजिटल मार्केटिंग समझना गलत है.
SMS मार्केटिंग भी डिजिटल मार्केटिंग का पार्ट है, पर आप SMS marketing बिना इंटरनेट के हो सकती है!!.
डिजिटल मार्केटिंग क्यों ज़रूरी है?
आपको याद है जब हम बचपन में कार से जब भी घूमने जाते थे.
तो हम लोग खिड़की पर बैठने के लिए लड़ते थे.
बाहर के नज़ारो के साथ साथ हम advertisement के बोर्ड भी देखते थे.
हर शहर में अलग अलग तरह के बोर्ड लगे होते थे. हम उन पर लिखे ads पढ़ते थे.
आज आप रोड पर लगे कितने ads पर ध्यान देते है?
अगली बार जब आप घूमने जाए, तो अपने साइड में बैठे आदमी को देखिये गा.
वो 90% फ़ोन चला रहा होगा!!
ऐसे में कम्पनीज अपना पैसा रोड पर लगे बोर्ड पर खर्च करेगी?
या फेसबुक के ads में, जहाँ अभी आपके दोस्त का ध्यान लगा हुआ है.
हर किसी को अपने पैसे से प्यार है.
ऐसे में आप ads में पैसे वहाँ ख़र्च करेंगे जहाँ कम लोग है.
या वहाँ पर जहाँ सब है?
इसलिए डिजिटल मार्केटिंग स्कोप बहुत है.
और ये कुछ सालो तक बढ़ने ही वाला है.
धीरे धीरे mobile और internet user badhte जा रहे है.
June 2018 तक इंडिया में internet user की संख्या 50 crore तक पहुंच जायगी.
डिजिटल मार्केटिंग के फायदे
अगर आप एक business men है तो जानते होंगे, की आज Business को ऑनलाइन लाने की कितनी ज़रूरत है.
ये जहाँ customer को ज़्यादा option देता है, व्ही seller को ज़्यादा बड़ी audience मिलती है.
चलिए जानते है की डिजिटल मार्केटिंग क्या है और इसके फायदे.
आपको proper result मिलता है
आपने newspaper में ad दिया.
आपको 20 कॉल भी आ गई.
पर क्या आपको पता की कितने लोगो ने आपका ad देखा?
आपका Ad तीसरे पेज पर था, तो कितने लोग तीसरे पेज पर गए?
आपको 15 आदमी और 5 female की call आई.
हो सकता है आपका ad 50 male ने और 50 female ने ad देखा हो.
ऐसे में आपका ad ने आदमियों के लिया अच्छा perform करा.
व्ही औरतो के लिया इतना अच्छा नहीं था.
तो आपके लिए अच्छा ये है की वो ad बस आदमियों को दिखाए.
पर ऐसा कोई तरीका नहीं है जिस से पता चले की newspaper में AD देखा कितने आदमियों ने?
ऐसे में digital मार्केटिंग आपकी मदद करेगा
आप ad चलाए या आपकी वेबसाइट हो. आपको पूरी रिपोर्ट मिलती है.
- कितने लोगो ने आपके ad या वेबसाइट को देखा.
- किस location से देखा
- कितनी देर तक देखा
- किस Keyword पर देखा.
- उनका gender क्या था
- language क्या थी
- टाइम क्या था
- उनका क्या response था
- कितनी बार देखा
बड़ी कम्पनीज का साथ competition कर सकते हो.
मान लीजिये आपकी pizza की शॉप है.
क्या आप कुछ साल पहले traditional मार्केटिंग से pizza hut के बराबर AD चला सकते थे?
नहीं:
उनके ad famous TV channel पर आते थे, और आप बस एक शॉप के ओनर किस तरह से उन से competition करते?
पर डिजिटल मार्केंटिंग आपको मौका देती है.
आप भी अपने शहर को टारगेट करते हुए, फेसबुक और गूगल पर AD चलाए.
जहाँ जहाँ pizza hut आपके शहर में ऑनलाइन ad दिखाता है, आप भी व्ही दिखाए.
traditional मार्केंटिंग में छोटे business को advertise करना थोड़ा मुश्किल था, पर अब वो भी बड़े आराम से अपनी company को मार्किट कर सकते है.
आपकी पहुंच बहुत बढ़ जाती है
अगर आपके प्रोडक्ट की ज़रूरत पूरी दुनिया में है, जैसे की ब्लॉग.
तो आप पूरी दुनिया में अपनी वेबसाइट का Ad चला सकते है.
मान लीजिये technology पर आपका एक ब्लॉग है.
अपने iPhone X पर एक आर्टिकल लिखा.
अब US का traffic आपको अपनी वेबसाइट पर चाहिए.
तो आप Facebook पर जाएगे और फेसबुक पर ad चलाएगे, उन लोगो को टारगेट करते हुए जो US में है और जिनको iPhone x पसंद है.
कुछ ही टाइम में US से लोग आपकी वेबसाइट पर आने लगे गे.
क्या आपको लगता की आप traditional मार्केंटिंग से, अपना Ad US में दिखा सकते थे ?
यही पावर है ऑनलाइन मार्केंटिंग की, आपके पास अच्छा product होना चाहिए.
advertise करने के लिए पूरी दुनिया आपके सामने है.
Result बहुत जल्दी सामने आता है
आपने आज Ad चलाया, तो आपको अगले दिन पता चल जाएगा की उसने कैसा perform किया.
कितने लोगो ने Ad देखा, केसा response दिया, कहाँ से देखा.
इस data के base पर आप आपने ad को ठीक करेंगे.
और फिर दुबारा चलाएगे.
Traditional मार्केंटिंग में आपको एक ही Ad काफी टाइम तक चलाना होता था.
तब आपको उसको रिजल्ट पता चलता था.
Competitor के बारे में सब कुछ देख सकते है.
आपको आपने competition के बारे में जानना है?
- उनकी वेबसाइट पर जाकर देखिये वो कैसा Content लिखते है.
- Semrush पर जाकर dekhiy कैसे गूगल पर ad चलाते है.
- फेसबुक पेज पर जाकर देखिये कैसी पोस्ट डालते है.
- Instagram पर चेक करिये कैसी फोटोज डालते है.
- Youtube पर देखिये कैसी videos डालते है.
- Similarweb पर चेक करिये, कितने लोग उनकी वेबसाइट पर आते है, कहाँ से आते है, कितनी देर रुकते है.
- वेबसाइट चेक करिये कितनी पुरानी है, उस पर कितने पेज है.
- अगर वो कोई product बेचते है, तो कहाँ कहाँ बेचते है.
ये लिस्ट चलती ही जाएगी और आप आपने competitor की सारी जानकरी निकाल लेंगे.
पर ऑफलाइन मार्केंटिंग में आपको आपने competitor के बारे में जानना थोड़ा मुश्किल होता है.
अच्छा ROI (Return of investment) मिलता है
आप जितने पैसे ऑफलाइन मार्केंटिंग में खर्च करेंगे, उस से कम पैसो में आपको डिजिटल marketing से अच्छा return मिल जाएगा.
अगर हम Ad दिखाने की बात करे तो फेसबुक और गूगल के ad सस्ते पढ़ते है, टीवी या newspaper ad के मुकाबले.
नोट- आप गूगल या फेसबुक पर जितने चाहे उतने पैसे खर्च कर सकते है, हम यहाँ कम पैसो में अच्छे return की बात कर रहे है.
डिजिटल मार्केटिंग कैसे करे?
जैसे की हमने अभी बात की, डिजिटल मार्केटिंग को हम दो part में divide कर सकते है.
- ऑनलाइन marketing
- ऑफलाइन marketing
ऑनलाइन marketing
ऑनलाइन marketing का सीधा सा मतलब है, ऑनलाइन medium का इस्तेमाल करते हुए marketing करना. ऑनलाइन marketing करने के हमारे पास 7 अलग अलग method है.
- Search engine optimization (SEO)
- Content marketing
- Search engine marketing (SEM)
- Social media marketing (SMM)
- Pay per click advertising (PPC)
- Affiliate marketing
- E-mail marketing
सर्च इंजन optimization का मतलब है अपनी वेबसाइट को किसी कीवर्ड के लिए सर्च इंजन पर ऊपर लाना.
अगर आप गूगल पर सर्च करे black shoes, तो आप देखेंगे की बहुत सारी वेब्सीटेस है जो काले जूते बेच रही होगी. ऐसे में कुछ वेबसाइट पहले पेज पर होगी, तो कुछ चौथे या पाचवे नंबर पर.
जिन वेबसाइट ने अपने पेज का ब्लैक shoes के लिए SEO किया होगा वो ऊपर रैंक कर रही है.
जितना अच्छा सर्च इंजन optimization, उतनी अच्छी रैंकिंग.
Content marketing का मतलब है, अपने customer के लिए अच्छा content create करना.
जितनी ज़्यादा customer आपकी बातो को पसंद करेगा, उतना ही वो आप पर भरोसा करेगा, और आपका product खरीदेगा.
Content कुछ भी हो सकता है, जैसे ये पोस्ट, या वीडियो, Social मीडिया पर फोटोज या email में लिखी कहानी.
Search engine marketing (SEM) का मतलब है पैसे देकर सर्च इंजन जैसे गूगल पर ऊपर नज़र आना.
इसे आप SEO का paid version बोल सकते है, यहाँ आप गूगल पर ऊपर नज़र तो आते है.
पर फ्री में SEO न कर, पैसे देकर keyword को ऊपर लाते है.
सोशल मीडिया marketing का मतलब social मीडिया पर अपने product को advertise कर, Brand Value बनाना.
इंडिया में सबसे ज़्यादा फेसबुक चलता है, पर उसके साथ Instagram, Linkdn, twitter और Google+ भी मौजूद है.
आपको अपने प्रोडक्ट को ध्यान में रखते हुए platform चुनना है.
वैसे बड़े ब्रांड तो सभी social मीडिया अकाउंट पर एक्टिव रहते है.
Pay per click advertising (PPC) में सब तरह के Ad आते है जो आप वेबसाइट पर देखते है.
जैसे अभी आप जो वेबसाइट के ऊपर और article के बीच में Ad देख रहे है ये PPC ad है.
इन पर हर click के पैसे कटते है, इसलिए इन्हे pay per click ad बोला जाता है.
Affiliate marketing में आपको product बेचने की commission मिलती है.
कोई आपके लिंक पर क्लिक कर, आपके द्वारा recommend किया product खरीदता है.
तो आपको उस product को बेचने की commission मिलती है.
ईमेल marketing में आप पहले अपने customer के Email address collect करते हो.
फिर Mail Chimp जैसी वेबसाइट का इस्तेमाल करते हुए उहने मेल करते हो.
ज़्यादार ये mail bulk में जाते है.
तो आपको देखना होता है, की कितने mail open हुए या कितने लोगो ने response दिया.
तो आप जान गए होंगे की ऑनलाइन मार्केटिंग में क्या क्या आता है.
वैसे तो आप जितना ज़्यादा प्लेटफार्म क्या इस्तेमाल करेंगे उतना अच्छा है.
पर:
हर business को advertise करने का अलग तरीका होता है.
अगर आपको blogger बनना है, तो SEM आपके काम नहीं आएगा.
अगर product सेल करना है तो youtube पर वीडियो रैंक करने से फ़ायदा नहीं होगा.
तो आइये ऑनलाइन मार्केटिंग के तरीको को समझते है.
और जानते है की कोनसा तरीका कहाँ काम आता है.
1. SEO – सर्च इंजन Optimization
SEO का मतलब है, अपनी वेबसाइट को search इंजन के लिए optimize करना.
गूगल किसी भी keyword के लिए आपकी वेबसाइट में पेज को रैंक करता है.
गूगल की ranking के 3 बढ़े रैंकिंग factor है Content, Backlink और Rank brain.
इनको हम बोल सकते है:
- On-page
- Off-page
- Rank brain
On-page और off-page पर हमको काम करना होता है.
Rank brain गूगल की algo है, जो pages की ranking सेलेक्ट करती है.
On-Page Optimization
On-Page Optimization का मतलब है अपनी वेबसाइट के content को Search इंजन के लिए optimize करना.
On page seo के 4 अलग अलग factor है.
- Keyword रिसर्च
- पेज optimization
- साइट स्पीड
- Solving Error
Keyword research
आपका ब्लॉग हो, E-commerce website हो या कोई travel agency.
अपनी वेबसाइट पर content सब डालते है.
पर:
कंटेंट लिखने से पहले हमे keyword चुनना होता है.
फिर आपकी पोस्ट, उस keyword के बारे में बताती है.
किसी वेबसाइट की कामयाबी उसके keyword पर depend करती है
तो कीवर्ड कैसे चुने.
आपको SEO की अच्छी जानकारी नहीं है और आपने Insurance जैसा कोई कीवर्ड सेलेक्ट क़र लिया.
तो आप कितनी भी कोशिश करो, आपकी वेबसाइट पर ट्रैफिक आना बहुत मुश्किल होगा.
ऐसे में वेबसाइट बनाने से पहले उन keyword को चुने जिनको आप रैंक करा सकते है.
आपने कोई keyword चुना जिस पर बड़ी बड़ी companies blog करती है, तो उसे रैंक करना मुश्किल होगा.
आप कितनी भी मेहनत करे, पर उन कम्पनीज जितना budget या पैसे खर्च नहीं क़र सकते.
तो पहले कीवर्ड सेलेक्ट करे.
Keyword research के लिए काफी सारे tools है.
पर सबसे अच्छा Google keyword planner ही है.
इस पर आप location और language सेलेक्ट क़र.
किसी भी keyword का search volume और competition चेक क़र सकते है.
अच्छा कीवर्ड चुनने का सीधा सा तरीका है.
High search volume और low Competition.
अगर आपको manual किसी keyword का competition चेक करना है.
तो गूगल पर वो कीवर्ड टाइप करिये.
पहले जो 10 रिजल्ट सामने आते है, उनको चेक करिये.
- पोस्ट कितनी पुरानी है.
- On-page कैसा हुआ है.
- Backlink कितने है.
- कितना डिटेल में है.
एक सिंपल गूगल search से ही आप keyword के competition का अंदाज़ा लगा सकते है.
आप कीवर्ड चुनते वक़्त emotion में बहकर, मुश्किल कीवर्ड न चुने.
अपनी Knowledge और budget के हिसाब से keyword को चुने.
वैसे rank brain update के बाद से गूगल keyword पर कम और टॉपिक पर ज़्यादा ध्यान देता है.
Page optimization
आपने कीवर्ड तो चुन लिया.
अब टाइम है उस पर आर्टिकल लिखने का.
या तो आप एक राइटर की तरह जो मन आए, वो लिख सकते है.
या आप एक Blogger की तरह लिखेंगे.
Writer जो content लिखता है वो User को पसंद आता है.
Blogger जो content लिखता है, वो user और गूगल दोनों को पसंद आता है.
अपने pages को सर्च इंजन के लिए optimize करने के लिए नीचे कुछ टिप्स है, उन्हें फॉलो करे.
Title में H1 Tag इस्तेमाल करे-
अगर आप WordPress इस्तेमाल करते है, तो H1 tag वो automatically लगा देगा.
Title की शुरुआत Keyword से करे-
अपने keyword को title में शुरू में लगाए.
जैसे की अगर keyword manali trip है तो, टाइटल कुछ ऐसा होना चाहिए.
Manai trip at cheapest price- offer valid before the new year.
Keyword पोस्ट में शुरू में लिखे
गूगल को ये बताने के लिए की आपकी पोस्ट किस बारे में है.
अपने keyword को शुरू के 100-word में ज़रूर डाले.
Post कम से कम 800-word की लिखे-
कहने को तो 300-word बोला जाता है.
पर आज के competition के टाइम में minimum 800 word.
और maximum की कोई लिमिट नहीं है जितना competitive keyword उतनी लम्बी पोस्ट.
लगभग 1% Keyword density होनी चाहिए-
Keyword density का मतलब है की आपका कीवर्ड कितनी बार आया.
अगर 100-word का article है और keyword 2 बार इस्तेमाल हुआ है.
तो keyword density 2% होगी.
आज से कुछ साल पहले लोग 3 – 6 बार तक keyword डेंसिटी रकते थे.
पर अब गूगल smart हो चुका है.
अब वो keyword से ज़्यादा टॉपिक पर ध्यान देता है.
अगर पूरा आर्टिकल किसी एक टॉपिक पर है.
तो वो उस टॉपिक से मिलते हुए keyword पर भी आपकी website को ऊपर दिखाएगा.
इसलिए अगर आपने टॉपिक को सही से explain किया है, तो 1% density काफी होगी.
Sub-heading का इस्तेमाल करे-
किसी बुक की तरह बस लम्बे लम्बे paragraph न लिखे.
Sub-heading का इस्तेमाल करे.
आर्टिकल को छोटे छोटे sub-heading में divide कर दे.
इस से google और User दोनों को article समझने में मदद मिलेगी.
इंटरनल linking करे-
Internal linking होती है, अपनी वेबसाइट के अंदर ही एक पेज से दूसरे पेज को लिंक करना.
जैसे की ये –Whatsapp से पैसे कैसे कमाए । 7 अलग अलग तरीको से
इस से Link juice एक पेज से दूसरे पेज के बीच में transfer होता रहता है.
Link juice का मतलब है बैकलिंक बनाने से मिलने वाली वैल्यू.
आप बैकलिंक एक पेज पर बनाते हो, पर इंटरनल linking से वो एक पेज से दूसरे पेज में transfer होता रहता है.
Outbound link बनाये-
Outbound link का मतलब है अपनी वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट को लिंक देना.
आपको अपनी हर पोस्ट में 2-3 outbound link अच्छी वेबसाइट को देने चाहिए.
ALT Tag-
ALT tag image में दिया जाता है.
इस से गूगल को पता चलता है की इमेज किस बारे में है.
और अगर कभी इमेज न खुले तो, उसकी जगह text लिख कर आ जाए.
तो आपको अपने Keyword को ALT tag में लिखना है.
सही category select करे-
अपनी पोस्ट को सही category में डाले.
इस से यूजर और गूगल दोनों को navigation में आसानी होगी.
कुछ tag enter करे-
हर पोस्ट पर उस से मिलते हुए 2-3 टैग लिखे.
कुछ लोग बहुत सारे Tag लिखते है, उस से कोई फ़ायदा नहीं है.
2 या 3 tag काफी होते है.
Multimedia add करे-
कम से कम एक photo अपनी पोस्ट में ज़रूर लिखे.
इस से यूजर engage रहता है और bounce रेट कम होता है.
Bounce रेट का मतलब है की कितने यूजर बिना दूसरे पेज पर गए वापिस लोट गए.
अगर 100 लोग website पर आए और 35 ने कोई दूसरा पेज खोला.
तो बाउंस रेट 65% होगा.
Bounce रेट जितना कम हो, उतना अच्छा है.
वेबसाइट स्पीड
वेबसाइट की loading स्पीड Google का एक ranking factor है.
गूगल ने हुद confirm किया है की वो पेज को रैंक करते वक़्त loading speed पर ध्यान देते है.
ज़्यादातर E-Commerce website 2 second के अंदर खुलती है.
आपकी वेबसाइट जितना जल्दी खुले उतना अच्छा है.
Error का ध्यान रखे
आपकी वेबसाइट में बहुत से error आ सकते है जैसे:-
- पेज missing का
- Indexing issue
- Mobile usability issue
- Hreflang tag का
- International targeting
ये सभी error आप गूगल webmaster tool की मदद से सही कर सकते है.
आपको webmaster टूल आपकी website की सारी जानकरी देगा.
उसमे क्या error है, कितने pages index हुए, सब कुछ.
OFF पेज SEO
ऑफ पेज SEO का मतलब है अपनी वेबसाइट को रैंक कराना,
दूसरो की वेबसाइट का इस्तेमाल करते हुए.
Off पेज SEO में अलग अलग method है जैसे की Backlink बनाना, Social bookmarking करना और guest Blogging.
बैकलिंक का मतलब है, दूसरे की वेबसाइट पर आपकी वेबसाइट का लिंक लगाना.
जैसे अगर एक आदमी के बारे में बहुत सारे लोग बात करे तो, आप समझ जाएगे की वो आदमी कुछ है, जो सब उसकी बात कर रहे है.
ऐसा ही जब एक वेबसाइट का लिंक बहुत सारी वेबसाइट पर हो, तो गूगल को लगता है वो वेबसाइट अच्छी है.
और गूगल उस वेबसाइट को रैंक करता है.
बैकलिंक कैसे बनाये?
Backlink बनाने के काफी सारे तरीके है जैसे की:
Guest posting –
Guest posting में हम दूसरो की वेबसाइट पर पोस्ट लिखते है, और बदले में अपनी वेबसाइट पर एक do-follow बैकलिंक लेते है.
Social bookmarking –
जो भी famous social network है जैसे की फेसबुक, twitter, Reddit या Instagram पर अपनी वेबसाइट का पेज बना कर लिंक शेयर करते हो.
या जो भी पोस्ट लिखते हो उसका लिंक शेयर करते हो.
Forum profile link –
इस में आप topic से मिलती हुई forum पर id बनाते हो.
और अपनी प्रोफाइल में website का लिंक डालते हो.
Video sharing वेबसाइट –
यहाँ आपको कोई वीडियो बना कर description में अपनी वेबसाइट का लिंक डालना होता है.
Photos sharing वेबसाइट –
आप photos को इन वेबसाइट पर upload करते हो और source में अपनी वेबसाइट का लिंक डालते हो.
ऐसे बैकलिंक बनाने के बहुत सारे तरीके है. पर आपको बैकलिंक बस अच्छी वेबसाइट पर ही बनाना होता है.
2. Content मार्केटिंग
Content marketing सुनने में अजीब सा लगता है?
कहानियो को बेचना!!
पर सच यही है, Product से ज़्यादा ज़रूरी उसके पीछे की कहानी होती है.
तो content मार्केटिंग क्या है?
क्या आपने कभी कोई ऐसा आर्टिकल पढ़ा है, जिसे बस आप पढ़ते ही चले गए.
यही है content मार्केटिंग.
अपनी पोस्ट को ऐसे लिखना की लोग एक लाइन से दूसरी लाइन, एक paragraph से दूसरे paragraph तक बस पढ़ते ही चले जाए.
जब वो पोस्ट ख़तम करे, तो उनको लगे की एक कहानी पढ़ी है.
जिसमे पहले उसकी शरुआत हो, फिर बीच में detail और आखिर में Climax.
Content marketing बस text तक ही नहीं है.
Youtube की video हो या Facebook की फोटो सभी Content है.
आप कितना, अपनी audience को अपने content से engage कराते है.
ये आपकी content marketing skills के ऊपर है.
Content marketing सीखने के लिए किसी बड़े institute की ज़रूरत नहीं है.
किसी भी salesmen के ऊपर धियान दीजिये.
कैसे वो आपको, अपनी बातो में लगाता है.
कैसे वो अपने product को, market का सबसे अच्छा product बताता है.
कैसे वो आपको सस्ती चीस मेहगे में बेचता है.
3. Search engine marketing (SEM)
किसी कीवर्ड को गूगल की First position पर लाने में आपको महीनो लग सकते है.
वो भी रैंक तभी करेगा जब आपने सब ठीक से किया हो.
ऐसे में अगर किसी को जल्दी से अपनी वेबसाइट पर traffic चाहिए.
तब क्या करे:
तब काम आता है SEM advertising.
सर्च इंजन मार्केटिंग का मतलब है search इंजन पर advertise करना.
जब भी आप गूगल पर कुछ search करते है तो काफी बार आपको Ads दिखाई देते है.
यही Search engine marketing Ads है.
SEM की मदद से आप कुछ ही घंटो में अपने keyword के लिए फर्स्ट position पर आ सकते है.
बस आपको keyword चुनना है.
और उस पर Ad चलाना है.
जब आप फर्स्ट पोजीशन पर होंगे तो ज़ाहिर सी बात है, लोग आपकी website पर आएगे.
हर कीवर्ड के लिए bidding होती है.
बिडिंग का मतलब है जब भी कोई आपके ad पर क्लिक करेगा.
तो आपको हर क्लिक के पैसे देने होंगे.
सब search इंजन का अलग अलग advertising network है.
इनमे सब से फेमस Google का Google adword है.
जिस की मदद से आप गूगल पर Ads चला सकते है.
4. Social media marketing(SMM)
गूगल से ट्रैफिक आने में टाइम लगता है.
ऐसे में आप कम पैसो में आप कहाँ से traffic ला सकते हो.
जवाब है:
Social मीडिया.
Social media marketing का मतलब है Social network पर advertise करना.
आज हर कोई social मीडिया पर है.
आप अपने product की अच्छी सी फोटो खींचो, थोड़ा सी detail लिखो.
और social मीडिया पर पैसे खर्च क़र करोड़ो लोगो के सामने ले आओ.
पहले एक अच्छा product बनाने के बाद भी उसे market करने में परेशानी होती थी.
आज आपके पास कोई अच्छा product हो या कोई website हो.
आप उसको बड़े आराम से social मीडिया पर advertise क़र famous क़र सकते है.
पहले कभी फेसबुक ही सबसे अच्छा Social media platform था.
पर हर साल Facebook की organic reach कम होती जा रही है.
अब Facebook पर pages या group बढ़ाने की कोशिश करना बेकार है.
पर:
अगर आपको पैसे खर्च क़र advertise करना है.
तो, फेसबुक अभी भी सबसे अच्छा प्लेटफार्म है.
Facebook चाहे fake news दिखाए या आपका डाटा leak करे.पर लोग अभी भी कुछ सालो तक फेसबुक को नहीं छोड़ने वाले.
आपको फेसबुक पर हर product के लिए audience मिल जाएगी.
ये google adwords से सस्ता भी है, और कुछ categories जैसे fashion वगैरा में, Adwords से अच्छा काम भी करता है.
Instagram के यूजर पिछले कुछ सालो में बहुत बड़े है.
इस की post में आप direct लिंक नहीं डाल सकते, इस से कुछ लोगो को लगता है की Instagram मार्केटिंग के लिए सही नहीं है.
पर ऐसा नहीं है.
Instagram brand value बनाने के लिए बहुत अच्छा नेटवर्क है.
साथ ही bio में लिंक डालने से लोग आपके बारे में पढ़ क़र सीधा आपकी वेबसाइट पर जा सकते है.
5. Pay per click advertising (PPC)
नाम से ही आपको समझ आ रहा होगा,
PPC में आपको आपको पैसे देने होते है जब भी आपका ad क्लिक होता है.
PPC ऑनलाइन advertising का सबसे common तरीका है.
सर्च इंजन marketing भी PPC का ही पार्ट है.
जितने भी ऑनलाइन platform है, सबके अलग अलग PPC Ad चलते है.
चाहे वो फेसबुक हो, गूगल हो, Instagram, Twitter या amazon.
पर:
सबसे फेमस गूगल और फेसबुक ही है.
फेसबुक के ad आपको अपनी Wall पर post के बीच में नज़र आते है.
Facebook Ads
गूगल पर आप keyword को टारगेट करते है.
व्ही फेसबुक आपको targeting के बहुत से ऑप्शन देता है.
आप चाहे तो दिल्ली में 20-30 साल के आदमी, जिनको online shopping पसंद है, उनको टारगेट कर सकते है.
जी है, फेसबुक पर इतने ज़्यादा specific लोगो को टारगेट किया जा सकता है.
फेसबुक बहुत से अलग अलग advertising के ऑप्शन देता है जैसे की.
Website visit, Post engagement, Page like, वीडियो view, और cost per lead.
फेसबुक के बाद आता है गूगल.
Google पर लोगो को वो ad दिखाए जाते है जो लोग देखना चाहते है.
किसी ने black shoes के ढूंढा तो आप उसको Black shoes के ad दिखायगे.
व्ही फेसबुक पर लोग अपने friends और फॅमिली की पोस्ट देखने आते है न की ad देखने.
तो, Google के ad का काफी अच्छा response मिलता है.
गूगल से ad चलाने के लिए उनका टूल है Google adwords.
जैसे की हमने बताया, इसमें SEM सबसे अच्छा option होता है.
जिसमे आप Search result में ad दिखाते है.
Display Ad
Display ad आपको Website के अंदर नज़र आते है.
ये ad category हिसाब से दिखते है.
अगर आप sports की website पर है, तो sports equipment के Ad दिखेंगे.
Fashion की वेबसाइट पर है तो कपड़ो के ad.
Display ad में एक option होता है Re targeting.
Re targeting
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ की आप किसी वेबसाइट पर गए, फिर उस वेबसाइट का ad आप बार बार हर जगह देखते हो.
ऐसा re targeting की वजह से होता है.
Re targeting का मतलब है दुबारा से लोगो को टारगेट करना.
कोई आपकी वेबसाइट पर आया पर कुछ ख़रीदा नहीं.
तो आप उसको target करते है और फिर अपनी वेबसाइट का ad उन्हें बार बार दिखाते है.
Re targeting से आपके product बिकने के chances काफी बढ़ जाते है.
Google AdSense
Google adsence PPC का उल्टा है.
इस से आपको हर ad click होने के पैसे मिलते है.
आप अपनी वेबसाइट पर Adsence का कोड लगाते हो,
फिर आपकी वेबसाइट पर Ad दिखते है.
जब भी कोई इन Ad पर click करता है तो आपको पैसे मिलते है.
6. Affiliate marketing
Affiliate marketing का मतलब है दुसरो के product बेचना और उस में से commission लेना.
आप ने किसी restaurant में lunch किया. आपको restaurant पसंद आया.
अगली बार आप अपने 4 दोस्तों को भी साथ ले गए.
Restaurant के owner अपने बिल से 100 रुपया कम क़र दिए, क्युकी आप उसके पास नए कस्टमर लाए थे.
यही है affiliate marketing.
बस हम यहाँ commission ऑनलाइन कमाने की बात क़र रहे है.
हम ने article के शुरू Harsh aggarwal की बात की थी.
इन के blog की last February की income 26 लाख थी, जिसमे से लगभग 21 लाख income एफिलिएट से हुई थी.
अजीब है न?
हमे लगता है Google adsense ही वेबसाइट से पैसे कमाने के सबसे अच्छा तरीका है.
पर हम गलत है.
असली पैसा affiliate marketing में है.
7. E-mail मार्केटिंग
E-mail मार्केटिंग का मतलब है आपने product या service को email भेज क़र advertise करना.
आप सभी ने कभी न कभी E-mail भेजा होगा.
अगर वो email किसी प्रोफेशनल काम के लिए था, तो congratulation आप भी email marketing चुके है.
E-mail marketing शुरू करना आसान है, पर उसको बढ़ाने में या scale करने में दिक्कत आती है.
आपने अगर 10 E-mail भेजे. तो हो सकता है कोई रिप्लाई न आये.
100 E-mail भेजे तो शायद 4-5 % लोग आपका response करे.
पर अगर आप रोज़ 1000 मेल भेजे और 50 लोग उसपर response दे, तो ये अच्छा है.
ईमेल मार्केटिंग की कामयाबी, ईमेल लिस्ट पर निर्भर करती है.
जितनी ज़्यादा ईमेल address हो, उतना अच्छा है.
पर ये ईमेल address आपकी category के होने चाहिए.
अगर आप अनजान लोगो को मेल करेंगे, तो वो response नहीं देंगे.
और धीरे धीरे gmail, आपके mail को spam में भेजना शुरू क़र देगा.
Email marketing के फायदे
आपने अपना फ़ोन नंबर कब चेंज किया था?
शायद 2 -3 पहले.
और email address कब बदला?
शायद कभी नहीं.
यही power है email marketing की.
लोग कभी भी अपना main email अकाउंट बंद नहीं करते.
अगर आपके पास किसी का main email address है, तो आप पूरी ज़िन्दगी उनके contact में रह सकते है.
पर आपके पास इतने E-mail address कहाँ से आयगे?
E-mail address लिस्ट त्यार करने के बहुत से तरीके है जैसे की.
दोस्तों के mail address –
आप आपने दोस्तों से शुरू क़र सकते है, अपने gmail में जाइये और सारे contact के email address save क़र लिए.
Website पर message दिखा कर-
आपने देखा होगा की कुछ वेबसाइट पर message display होता है, जो आपसे आपका ईमेल address मांगता है. ये email marketing के लिए ही होता है.
Facebook ads –
फेसबुक के Cost per lead (CPL) ads की मदद से आप ईमेल लिस्ट बना सकते है.
E-mail marketing tools
ज़ाहिर सी बात है आप इतने mail, gmail से एक एक क़र कर तो नहीं भेज सकते.
इसके लिए बहुत से tools है.
इनमे सबसे अच्छा है MailChimp.
MailChimp के फ्री ऑप्शन में आप 2000 email address तक सेव कर सकते है और 12000 मेल per month भेज सकते है.
Tracking
जब आप इतनी मेहनत करते है वेबसाइट बनाने में, तो उसका result तो देखना चाहेंगे.
इसके लिए google का free टूल है.
Google Analytics.
Google analytics की मदद से देख सकते है कितने लोग आपकी आपकी वेबसाइट पर आए.
ये आपके User के बारे में बहुत से अलग अलग detail देता है जैसे की :-
- वो किस location से आ रहे है.
- किस पेज पर आ रहे है.
- किस language को इस्तेमाल करते है.
- किस डिवाइस का इस्तेमाल क़र रहे है.
- उनका inter
- net provider कौन है
- कितनी देर तक आपकी वेबसाइट पर रुके.
- कौन कौन से पेज देखे
- उनका शहर कौन सा है
- I.P address क्या है
- Browser कौन सा है
- कुछ ख़रीदा आपकी वेबसाइट या नहीं.
- और किस पेज से वो आपकी वेबसाइट को छोड़ क़र चले गए.
जी है, में अभी आपके बारे में ये सारी detail अपने analytics में देख सकता हु.
Offline मार्केटिंग
जैसे की हमने पहले ही बताया की Digital marketing इंटरनेट के बिना भी हो सकती है.
Digital device पर आप किसी product का promotion देख रहे हो, तो वो digital marketing या offline मार्केटिंग है.
हम लोग बहुत सी digital डिवाइस इस्तेमाल करते है.
इन सब devices का इस्तेमाल, बहुत पहले से marketing के लिया होता है जैसे की:-
Radio
Radio को कौन नहीं जानता.
अखबार ज़्यादातर बड़े लोग पढ़ते है, बच्चे नहीं पढ़ते.
Internet ज़्यादातर बच्चे चलाते है, बड़े लोग इंटरनेट कम इस्तेमाल करते है.
पर रेडियो का इस्तेमाल सबने किया है.
दिन में cricket match की commentary सुननी हो,
या रात को गाने,
या फिर radio mirchi murga के episode.
रेडियो का इस्तेमाल कम ज़रूर हुआ है, पर ख़त्म नहीं हुआ.
अगर आपको लगता है की radio मार्केटिंग का फ़ायदा नहीं है.
तो आप गलत है!
किसी से Dr. Batra के बारे में पूछिए.
लगभग सबको Dr. Batra के बारे में पता होगा.
सुना कहाँ से?
जवाब है
रेडियो.
TV advertising
क्या चल रहा है?
क्या आपका जवाब है FOG चल रहा है.
इस ad का response देखने के बाद आप जान गए होंगे की TV advertising में बहुत potential था.
मेने यहाँ था इसलिए बोला, क्युकी लोग अब TV से ज़्यादा मोबाइल पर टाइम देते है.
ऐसे में companies का ध्यान भी अब धीरे धीरे ऑनलाइन मार्केटिंग की तरफ जा रहा है.
TV advertising की वैल्यू आज जितनी है, हो सकता है 3-4 साल बाद इतनी न हो.
ऐसे में आपको उस offline advertising platform पर ध्यान देना चाहिए जिसका Future है.
वो है Mobile.
Mobile advertising
मोबाइल advertising से हमारा मतलब है SMS marketing.
क्या अपने कभी बिना पढ़े Email डिलीट किया है?
ज़्यादार लोगो ने किया होगा.
पर क्या अपने ऐसा SMS के साथ किया है?
जवाब है, नहीं.
हम लोग email एक बार को पढ़े या न पढ़े, SMS की एक लाइन तो डिलीट करने से पहले पढ़ ही लेते है.
ऐसा इसलिए है, क्युकी हम email तो काफी जगह देते है.
पर मोबाइल नंबर बहुत कम जगह देते है.
ऐसे में आपके dost के SMS आने के ज़्यादा चान्सेस है, Email आने से.
इस पोस्ट पर हमारी राय
डिजिटल या ऑनलाइन marketing में स्कोप है.
पर आप कितने कामयाब होते है, ये आपकी मेहनत के ऊपर है.
अपने offline business को ऑनलाइन लाना एक बात है.
और एक नया ऑनलाइन business या वेबसाइट शुरू करना अलग बात है.
Harsh aggarwal एक exception है, उन्होंने 2008 में शुरुआत की थी.
तब competition कम था.
पर:
लोग आज भी blog या website बनाते है, और उस से अच्छे पैसे कमाते है.
कामयाबी के लिए शुरुआत करना ज़रूरी है.
ऑफलाइन business में शुरू में पैसे कमाना आसान है,
पर सालो तक उस को चलाना मुश्किल है.
ऑनलाइन business में शुरू में पैसे कमाना मुश्किल है,
पर अगर वो कामयाब होता है, तो उसे चलाते रहना आसान है.
comment में बताए आपको हमारा article डिजिटल या ऑनलाइन मार्केटिंग क्या है कैसा लगा?
कोई सवाल हो तो ज़रूर पूछे.